Wednesday, April 27, 2011

Pitar Dosha and its remedies. पितृदोष और उसके उपाय.


मै यहां पर पितृदोष को दूर करने का एक बढिया उपाय बता रहा हूँ,यह एक बार की ही पूजा है,और यह पूजा किसी भी प्रकार के पितृदोष को दूर करती है। 

सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये,पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये,और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये,हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त : "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है।

आगे आने वाली सोमवती अमावस्यायें


29th August 2011
23rd Jan. 2012
15th October 2012
11th March 2013.
8th July 2013
2nd December 2013
25th August 2014
22nd December 2014


एक और उपाय है (2) कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये।

Remedy 1: 
On any somwati amavaasya (when there is Amaavasyaa and also monday) go to peepal tree,offer one janeu to tree and one to Lord Vishnu.Pray to tree and Lord Vishnu.Then do 108 Parikrama of tree,with each Parikrama offer a sweet to tree.While doing Parikrama continuously chant the mantra " OM NAMO BHAGAWATE  VAASUDEWAAYA".After doing parikrama again pray to peepal tree and Lord Vishnu and seek forgiveness.

Remedy 2: One more remedy is to feed crows and fish with rice mixed with gee and made into balls on every Saturday.

Thank you
Best Wishes,
Vijay Goel
Vedic Astrologer and Vastu Consultant,
Cell : +91 8003004666

Saturday, April 9, 2011

Religious importance of Five. [पञ्च का धार्मिक महत्व ]

पंचदेव : सूर्य, गणेश , शिव , शक्ति और विष्णु ये पंचदेव कहलाते है. सूर्य को दो परिक्रमा, गणेश को एक, शक्ति को तीन, विष्णु की चार तथा शिव की आधी परिक्रमा की जाती है.

पंच उपचार पूजा : गंध, पुष्प, धुप, दीप, और नैवेध अर्पित करना पञ्च उपचार पूजा कहलाती है.

पंच  पल्लव : पीपल, गुलर, अशोक, आम और वट के पत्ते सामूहिक रूप से पंच पल्लव के नाम से जाने जाते है.

पंच पुष्प : चमेली, आम, शमी (खेजड़ा), पदम (कमाल) और कनेर के पुष्प सामूहिक रूप से पंच पुष्प के नाम से जाने जाते है.

पंच गव्य : भूरी गाय का मूत्र (८ भाग), लाल गाय का गोबर (१६ भाग ), सफ़ेद गाय का दूध (१२ भाग), काली गाय का दही (१० भाग), नीली गाय का घी (८ भाग ) का मिश्रण पंच गव्य के नाम से जाना जाता है.

पंच  गंध : चूर्ण किया हुआ, घिसा हुआ, दाह से खीचा हुआ, रस से मथा हुआ, प्राणी के अंग से पैदा हुआ , ये पंच गंध है.

पंचामृत : दूध, दही, घी, चीनी, शहद का मिश्रण पंचामृत है.

पंच मेवा : काजू, बादाम, किसमिस , छुआरा, खोपरागित (नारियल का खोपरा ), पंच मेवा है.

पंचांग : तिथि, वार, नक्षत्र, करण, और योग को सम्मिलित रूप से दर्शाया जाने वाली तालिका को पंचांग कहते है.

अगर  हम ज्योतिष से हिसाब से सोचे तो सूर्य, चन्द्रे , राहू, केतु को छोड़ दे तो केवल पांच स्थूल ग्रह बचते है :
बुध, मंगल, शुक्र, बृहस्पति और शनि, यह पंच ग्रह है, इसी प्रकार पंच तत्त्व [आकाश, वायु, जल, अग्नि, भूमि ], भी ऊपर के पंच को सम्भोधित करते है.

Regards,
Vijay Goel
Jyotish Visharad.
vedic astrologer and vaastu consultant.
www.IndianAstroVedic.com
www.LalKitabSpeaks.com