तिल के बीजों का प्रभाव
असीरियन पुराणों में वर्णन है कि देवताओं ने पृथ्वी का निर्माण करने से पहले तिलबीज से बनने वाली शराब पी थी। एशियाई आहार श्रृंखला में आदिकाल से तिलबीज शामिल रहे हैं। ईसा के 3000 साल पहले से 5000 साल बाद तक जिक्र होता रहा है कि चीनी सभ्यता में तिलबीज को सम्मानजनक स्थान हासिल है।
वे लोग सदियों से तिलबीज के तेल के दीपक से अपनी अंधेरी रातें रोशन करते आए हैं। चीनियों की काली रोशनाई भी तिलबीज के तेल के दीपक से बनती थी। अफ्रीकन काले नीग्रो गुलामों के साथ तिल के बीज अमेरिका महाद्वीप में भी पहुंच गए। अब तिल के बीज लगभग हर व्यंजन में इस्तेमाल किए जाते हैं। एशियाई देशों में तिलबीज के तेल का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता है।
जरूरी है तांबा
तिलबीज से भरा हुआ एक चौथाई कप तांबे की रोजाना की खुराक की 75 फीसद मात्रा की आपूर्ति कर देता है। इसी तरह मैगनेशियम की 32 फीसद तथा कैल्शियम की 36 फीसद कमी की पूर्ति करता है। यदि इतने खनिज तत्व आपको खुराक में रोज मिल रहे हैं तो इसमें से तांबे की मात्रा रिह्यूमेटाइड आर्थराइटिस से होने वाली तकलीफ में राहत प्रदान कर सकती है। तांबा दर्द निवारण एवं एंटिऑक्सीडेंट एंजाइम प्रणाली में महत्वपूर्ण घटक है।
यह धातु रक्त नलिकाओं में लचीलापन एवं मजबूती प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण धातु के रूप में जाना जाता है। मैग्नेशियम से रक्त नलिकाओं में शुद्धि एवं श्वसन संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। मैगनेशियम से अस्थमा के दौरे में राहत मिलती है तथा श्वसन प्रणाली खुलने में सहायता मिलती है।
Thank you
Best Wishes,
Vijay Goel
Vedic Astrologer and Vastu Consultant,
Cell : +91 8003004666
No comments:
Post a Comment