अक्षय
तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका
अक्षय फल मिलता है।अक्षय का अर्थ है कभी न क्षय समाप्त होने वाला।
सम्पूर्णं कामनाओं को प्रदान करने वाला यह व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की
तृतीया को किया जाता है यदि यह तृतीया रोहिणी नक्षण से युक्त हो तो विशेष
रूप से पूज्य मानी जाती है।भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि
तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ
है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी
तिथि को हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन
हुआ था। इस दिन श्रीबद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और
श्री लक्ष्मी नारायण-लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ
स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं।इस दिन दिया
गया दान, किया हुआ हवन और जप सभी अक्षय बतलाये गये हैं। जो स्त्री सब
प्रकार के सुख चाहती है उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। यह व्रत करके
स्त्री अखण्ड सौभाग्यवती होती है, इस व्रत अनुष्ठान करने वाले की संतान
अक्षय हो जाती है और की हुई कामना पूर्ण होती है। अक्षय तृतीया के दिन की
गई साधना व पूजा का फल कभी कम नहीं होता इसलिए इसे बहुत ही शुभ दिन माना
जाता है :-
1. आपके पास धन की कोई कमी न हो :- मंत्र- ऊँ ऐं
ह्रीं श्रीं क्लीं दारिद्रय विनाशके जगत्प्रसूत्यै नम:।। अक्षय तृतीया के
दिन यह प्रयोग प्रारंभ करें। इसके बाद प्रतिदिन अपनी इच्छानुसार इस मंत्र
का जप करें। जप के लिए कमलगट्टे की माला का उपयोग करें। माला जपते समय
सामने देवी लक्ष्मी का चित्र तथा शुद्ध घी का दीपक जलते रहना चाहिए। 12
लाख मंत्र जप होने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
2. विवादों से परेशान है : - मंत्र
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।
अक्षय तृतीया रात्रि में पूजन के कमरे काली मां की मूर्ति या चित्र
स्थापित करें। अपने सामने बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाकर काली यंत्र स्थापित
करें। चित्र एवं यंत्र पर लाल फूल चढ़ाएं। यंत्र का पूजन करें। रात्रि में
10 बजे बाद 108 बार(एक माला) स्फटिक माला से इस मंत्र का जप करें। इस दौरान
दीपक व अगरबत्ती जलती रहना चाहिए। इस क्रिया को तीन दिन तक इसी प्रकार
दोहराएं। साधना समाप्ति के बाद मां काली से विवाद मुक्ति के लिए प्रार्थना
करें।
3. धन प्राप्ति के लिए : - माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा या
चित्र को ताम्बे की बड़ी थाली में स्थापित कर पूजना चाहिए, देवी को धूप
दीप, नवैद्य,पंचामृत व दक्षिणा अर्पित करें, उत्तर दिशा की ओर मुख रख कर
मंत्र का जाप करें, 9 माला मंत्र जाप करें या विशेष इच्छाओं हेतु 21 माला
करनी चाहिए, लाल रंग के आसन पर बैठ कर ही जाप करें, खीर का प्रसाद चढ़ाएं व
बाँटें, देवी को नारियल व पुष्प माला अर्पित करें ।
मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं कमालात्मिके स्वाहा: ।
4. बिमारियों से मुक्ति : - अक्षय तृतीया को माँ पार्वती जी की पूजा करनी
चाहिए, देवी को लाल चुनरी चढ़ाएं,पान, लौंग,इलायची आदि अर्पित करें, उत्तर
दिशा की ओर मुख रख कर मंत्र का जाप करें, 11 माला करनी चाहिए, लाल रंग के
आसन पर बैठ कर ही जाप करें, फलों का प्रसाद अर्पित करें, कमल के या कनेर के
फूल अर्पित करें ।
मंत्र - ॐ श्रीं अष्टचक्र नायिके स्वाहा: ।
5. कभी न होगी पैसे की कमी : - अक्षय तृतीया की रात को साधक शुद्धता के
साथ स्नान कर पीली धोती धारण करे और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ
जाएं तथा सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से
सिद्ध हो और स्फटिक माला से निम्न मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप के
बीच उठे नहीं ।
मंत्र - ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्
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